Thursday, June 14, 2012

मै तुम्हे डूब के चाहूँगा और मर भी जाऊंगा

मै तुम्हे डूब के चाहूँगा और मर भी जाऊंगा।
मेरी जिंदगी मेरी अपनी है किसी की उधार नहीं॥

ये घर-ये शहर, ये हवा- ये फिजा, धरती -चाँद -सितारे।
सब मेरे अपने है, तेरे होने से मुझे कोई सरोकार नहीं॥

सांसो का मिलना, दिल का धड़कना और तन्हाई में तड़पना।
तुम नहीं समझोगी, ये कुछ और है व्यापार नहीं॥

मत सोच की चाहती है, देखती है, ढूड़ती है हर पहर तुझे।
हरक़ते ही ऐसी है इन आँखों की, ये तेरी दीदार की तलबगार नहीं॥

हँसता हूँ, मुस्कुराता हूँ, चेहरे पे चमक रहती है।
भ्रम में मत रह, ये तेरी मोहब्बत का खुमार नहीं॥

जितना भी चाहो, कोशिशे कर लो, ज़हन से मिटा ना पाओगी।
मैं पत्थर की लकीर हूँ, कागज़ पे छपा अखबार नहीं॥

सीने से लगाये फिरता हूँ, आज तक तस्वीर तेरी।
ये भी सच है मगर, की अब मुझे तुझसे प्यार नहीं॥

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