अपनी मर्ज़ी के मालिक, खुद अपने खुदा है हम...
कभी साकी की दारू, कभी मरीज़ की दवा...
और अगर हाथ ऊपर कर लो तो दुआ है हम...
अपनी मर्ज़ी के मालिक, खुद अपने खुदा है हम...
नाजनीनों से कह दो, हसीनो से कह दो...
हम भी दिल रखते है, अभी जवान है हम....
अपनी मर्ज़ी के मालिक, खुद अपने खुदा है हम...
नज़र मिलाओगे.. तो दिल तक पहुँच जायेंगे...
इस कदर तराशा है हमे, ऊपर वाले की अदा है हम..
थोडा अलग हट के, थोडा जुदा है हम...
अपनी मर्ज़ी के मालिक, खुद अपने खुदा है हम...
अपनी मर्ज़ी के मालिक, खुद अपने खुदा है हम...
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